जीना चाहता हूँ मगर जिदगी राज़ नहीं आती Admin यादें शायरी, प्रेम << वक़्त तब कुछ और था ये जिंद... ज़िन्दग़ी की राह में टकरा... >> जीना चाहता हूँ मगर जिदगी राज़ नहीं आती,मरना चाहता हूँ मगर मौत पास नहीं आती,उदास हु इस जिनदगी से,क्युकी उसकी यादे भी तो तरपाने से बाज नहीं आती .. Share on: