यूनानी मिश्र और रोमी सब मिट गये जहाँ से Admin मिट्टी पर शायरी, प्रेम << सच छुपा-छुपा के हम उबलते हैं तो भूचाल उबल... >> यूनानी मिश्र और रोमी सब मिट गये जहाँ सेअब तक मगर हैं बाकी नाम-ओ-निशा हमाराकुछ बात हैं के हसती मिटती नहीं हमारीसदियों रहा हैं दुश्मन दौर-ए-जहाँ हमारा। Share on: