आता है जी में साक़ी-ए-मह-वश पे बार बार Admin शराब << ऐ ज़ौक़ देख दुख़्तर-ए-रज़... नशा तब दोगुना होता है >> आता है जी में साक़ी-ए-मह-वश पे बार बार,लब चूम लूँ तिरा लब-ए-पैमाना छोड़ कर। Share on: