आपके इस शहर में गुज़ारा नहीं अजनबी को कहीं पर सहारा नहीं आरज़ू में जनम भर खड़ा Admin शायरी जनम दिन पर, दर्द << उसके भोलेपन पर मिट न जाऊँ... चाहत का नकाब ओढ़कर आये का... >> आपके इस शहर में गुज़ारा नहींअजनबी को कहीं पर सहारा नहींआरज़ू में जनम भर खड़ा मैं रहाआपने ही कभी तो पुकारा नहीं Share on: