दिल ने फिर याद किया बर्क़ सी लहराई है,फिर कोई चोट मोहोब्बत की उभर आई है.!!क्या बताये तुम्हें हम शम्म़ा की किस्मत क्या है,ग़म में जलने के सिवा और मोहोब्बत क्या है,,ये वो गुलशन है के जिसमें ना बहार आनी है.!!हम वो परवाने है जो शम्म़ा का दम भरते है,हुस्न की आग में खामोश जला करते है,,आह भी निकले तो ये प्यार की रुसवाई है.!!