खेल जिंदगी का एकतरफ़ा सा लगता था Admin जिंदगी कि शायरी, Dard << ना छेड़ किस्सा ऐ उल्फत बहु... अपने अपने हौसले अपनी तलब ... >> खेल जिंदगी का एकतरफ़ा सा लगता था ,तुम आए तो खेल, अब अच्छा सा लगता है ,खेलना दिल से हुनर से मत खेलना ,दाँव पर जिंदगी होती है, जब कोई अपना सा लगता है Share on: