सभी हिंदी शायरी
हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है
हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है ...
آسماں بھی ہے ستم ایجاد کیا!
جولائی ۴۴ء کی ایک ابر آلود سہ پہر جب وادیوں اور مکانوں کی سرخ چھتوں پر گہرا نیلا کہرا چھایا ہوا تھا اور پہاڑ کی چوٹیوں پر تیرتے ہوئے بادل برآمدوں کے...
ये ग़ाज़ी ये तेरे पुर-अस्रार बन्दे
ट्रेन मग़रिबी जर्मनी की सरहद में दाख़िल हो चुकी थी। हद-ए-नज़र तक लाला के तख़्ते लहलहा रहे थे। देहात की शफ़्फ़ाफ़ सड़कों पर से कारें ज़न्नाटे से गुज़रती जाती थ...
डालन वाला
हर तीसरे दिन, सह-पहर के वक़्त एक बेहद दुबला पुतला बूढ़ा, घुसे और जगह-जगह से चमकते हुए सियाह कोट पतलून में मलबूस, सियाह गोल टोपी ओढ़े, पतली कमानी वाली छो...
मेरा नाम राधा है
ये उस ज़माने का ज़िक्र है जब इस जंग का नाम-ओ-निशान भी नहीं था। ग़ालिबन आठ नौ बरस पहले की बात है जब ज़िंदगी में हंगामे बड़े सलीक़े से आते थे। आज कल की तरह न...
कमाल-ए-इश्क़ में सोज़-ए-निहाँ बाक़ी नहीं रहता
कमाल-ए-इश्क़ में सोज़-ए-निहाँ बाक़ी नहीं रहता ...
कमाल-ए-इश्क़ में सोज़-ए-निहाँ बाक़ी नहीं रहता
कमाल-ए-इश्क़ में सोज़-ए-निहाँ बाक़ी नहीं रहता ...
सुना है आलम-ए-बाला में कोई कीमिया-गर था
फिर शाम का अंधेरा छा गया। किसी दूर दराज़ की सरज़मीन से, न जाने कहाँ से मेरे कानों में एक दबी हुई सी, छुपी हुई आवाज़ आहिस्ता-आहिस्ता गा रही थी, ...