रहने दे अभी गुंजाइशें जरा अपनी बेरुखी में Admin गुंजाइश शायरी, Dard << न रुकी वक़्त की गर्दिश और... अभी सूरज नहीं डूबा जरा सी... >> रहने दे अभी गुंजाइशें जरा अपनी बेरुखी में,इतना ना तोड़ मुझे कि मैं किसी और से जुड़ जाऊँ...! Share on: