आ दिल में तुझे कहीं छुपा लूँ लोगों की निगाह से बचा लूँ क्यूँ तुझ पे गुमान-ए-बे-वफ़ाई क्यूँ अपने ही दिल की बद-दुआ लूँ तुझ सा कोई दूसरा नहीं है चाहे तो तिरी क़सम उठा लूँ दीवार-ए-उम्मीद ढे रही है तस्वीर तिरी कहाँ लगा लूँ आईने की धुँद साफ़ कर के क्यूँ ख़ुद को न हाल-ए-दिल सुना लूँ कटते ही नहीं पहाड़ से दिन 'शोहरत' मैं उसे कहाँ से पा लूँ