किसे अज़ीज़ नहीं होगी ज़िंदगी मेरी किसी पे बार ही कब थी यहाँ ख़ुशी मेरी बग़ैर उस से मिले उस के घर से लौटी हूँ कहाँ गई थी मुझे ले के सादगी मेरी कभी जो भूलना चाहोगे दुश्मनी के दिन हमेशा याद दिलाएगी दोस्ती मेरी तुम्हें वो चैन से सोने कभी नहीं देगी सताएगी तुम्हें हर बात पे कमी मेरी महकता झूमता इक ताज़ा फूल हूँ मैं भी बिखर गई है हवाओं में ताज़गी मेरी इसी मक़ाम पे तुम भी किरन चले आओ जहाँ पे तुम ने बदल दी थी ज़िंदगी मेरी