आ गया फिर बहार का मौसम हुस्न के कारोबार का मौसम किस अदा से सँवर के आया है रंग-ए-लैल-ओ-नहार का मौसम अहल-ए-दिल के लिए पलट आया फ़ुर्सत-ए-इंतिज़ार का मौसम ख़ुद-बख़ुद फूल बे-हिजाब हुए जोश में है निखार का मौसम अब खुलेगा भरम वफ़ाओं का रंग लाएगा प्यार का मौसम क्यों न हो ज़िक्र-ए-गुल-रुख़ाँ 'अज़हर' औज पर है बहार का मौसम