आ इधर आ हौसला गर कुछ है क़ातिल और भी देखता जा शौक़-ए-वस्ल-ए-रूह-ए-बिस्मिल और भी देख कर मक़्तल में जोश-ए-ख़ून-ए-बिस्मिल और भी चढ़ गया इक दम दम-ए-शमशीर-ए-क़ातिल और भी जब से अपना का'बा-ए-दिल जल्वा-गाह-ए-यार है बढ़ गई है आशिक़ों में अज़्मत-ए-दिल और भी चाहने वाला तिरा इक मैं ही तो तन्हा नहीं शुक्र है इस जुर्म-ए-उल्फ़त में हैं शामिल और भी देखिए फिर किस तरह होता नहीं उन पर असर काश सुन लेते नवा-ए-पर्दा-ए-दिल और भी चश्म-ए-साक़ी हो इधर भी दौरा-ए-जाम-ए-निगाह हैं दरून-ए-ख़ाना-ए-उल्फ़त में हैं शामिल और भी मैं तो पहले ही से नज़्र-ए-आसिया-ए-चर्ख़ था इश्क़ ने रख दी मिरे सीने पे इक सिल और भी मैं तो तेरा हो लिया तू भी तो हो मेरा कभी तेरी नज़र-ए-मेहर को तकते हैं 'बिस्मिल' और भी