तेरे हुस्न की ख़ैर बना दे इक दिन का सुल्तान मुझे आँखों को बस देखने दे और होंटों से पहचान मुझे वस्ल में उस के मर जाने की हसरत मेरे दिल में है और बिछड़ कर जीने का भी बाक़ी है अरमान मुझे ख़ून रगों में रुक जाएगा लेकिन साँस न उखड़ेगी किस को भूल के ख़ुश बैठा हूँ जब आएगा ध्यान मुझे मैं हूँ एक और बीस सदी का मेरी माँग मलँगों सी हर इक पल की ख़बर भी दे और बरसों का सामान मुझे कैसे फूल और कौन से काँटे याद की झोली ख़ाली है अब तो 'तसव्वुर' लगने लगा है वीराना वीरान मुझे