आ तेरी गली में मर गए हम मंज़ूर जो था सो कर गए हम तुझ बिन गुलशन में गर गए हम जूँ शबनम चश्म-तर गए हम पाते नहीं आप को कहीं याँ हैरान हैं किस के घर गए हम उस आईना-रू के हो मुक़ाबिल मालूम नहीं किधर गए हम गो बज़्म में हम से वो न बोला बातें आँखों में कर गए हम जूँ शम्अ उस अंजुमन से 'बेदार' ले दाग़-ए-दिल-ओ-जिगर गए हम