आह ऐ यार क्या करूँ तुझ बिन नाला-ए-ज़ार क्या करूँ तुझ बिन एक दम भी नहीं क़रार मुझे ऐ सितमगार क्या करूँ तुझ बिन हूँ तिरी चश्म-ए-मस्त का मुश्ताक़ जाम-ए-सरशार क्या करूँ तुझ बिन गो बहार आई बाग़ में लेकिन सैर-ए-गुलज़ार क्या करूँ तुझ बिन दिल है बेताब चश्म है बे-ख़्वाब जान-ए-'बेदार' क्या करूँ तुझ बिन