आए लबों पर श्वास रे जोगी छूटा कारावास रे जोगी शाख़ों से रूठे हैं पत्ते किस को किस का पास रे जोगी रिश्तों के पुल टूट चुके हैं दूर वसो या पास रे जोगी नील सफ़ेद और भगवा काले सब रंग उस के दास रे जोगी दुख संताप पाप के जंगल जीवन भर बनवास रे जोगी मुँह में राम बग़ल में बरछी किस का अब विश्वास रे जोगी राम भरोसे पल जाते हैं क्या निर्धन क्या घास रे जोगी बस जी का जंजाल है दुनिया अच्छा है सन्यास रे जोगी दूर 'ख़याल' रहे वो दिल से रहते हैं जो पास रे जोगी