आदमी-ज़ाद हो फ़ितरत के मुताबिक़ माँगो जाओ दिल खोल के शहवत के मुताबिक़ माँगो इस में किस बात का डरना कि कोई देखेगा अपनी औक़ात-ओ-ज़रूरत के मुताबिक़ माँगो इस बखेड़े में मयस्सर के मुताबिक़ पड़ना इश्क़ हालात से फ़ुर्सत के मुताबिक़ माँगो हाँ ये लाज़िम है कि राइज का भरम रक्खो तुम रब से अपनों की शरीअ'त के मुताबिक़ माँगो इतना माँगो जो तरीक़े से उठा सकते हो यार दामन की सुहूलत के मुताबिक़ माँगो बात सुनता है सवाली का भरम रखता है खुल के दरवेश की शोहरत के मुताबिक़ माँगो