आग से सैराब दश्त-ए-ज़िंदगानी हो गया शो'ला-ए-दिल आँख में आया तो पानी हो गया दर्द सीने में उठा माथे पे शिकनें पड़ गईं रंग चेहरे का सदा-ए-बे-ज़बानी हो गया तेरी आँखें आइना हाथों में ले कर आ गईं रू-ब-रू हो कर तिरे मैं अपना सानी हो गया जब भड़क उट्ठा था तेरे क़ुर्ब से मेरा बदन नाम उन हस्सास लम्हों का जवानी हो गया कर दिया था मैं ने जो आवारा पत्तों पर रक़म राज़ वो रुस्वा हवाओं की ज़बानी हो गया एक अन-मिट रौशनी था अर्श की मेहराब पर आदमी के रूप में आ कर मैं फ़ानी हो गया जिन के सीनों में धड़कता था 'मुज़फ़्फ़र' मेरा दिल आज मैं उन के लिए भूली कहानी हो गया