आगे जो होगा वो होगा ख़ैर कर आया हूँ मैं जो ज़बर बनते थे उन को ज़ेर कर आया हूँ मैं हाँ बहुत मुश्किल तो है लेकिन ये ना-मुम्किन नहीं दर्द की तुग़्यानियों में तैर कर आया हूँ मैं मर गया है कोई मुझ में उस पे मिट्टी डालिए अपनी सारी ख़्वाहिशों को ढेर कर आया हूँ मैं दर्द वहशत रंज-ओ-ग़म तन्हाइयाँ शाम-ए-अलम जो मुझे घेरे थीं उन को घेर कर आया हूँ मैं वो जिसे पाने की हसरत दिल में मुद्दत से रही उस के ही ख़ातिर उसे अब ग़ैर कर आया हूँ मैं काम ये आसाँ नहीं इस में कलेजा चाहिए इश्क़ की वादी से हाँ रुख़ फेर कर आया हूँ मैं जाने किस की दीद की हसरत लिए दिल में 'शहाब' दश्त-ओ-सहरा से भी आगे सैर कर आया हूँ मैं