आह भी इक कोशिश-ए-नाकाम है मेरे लिए ऐसी सहबा-ए-कुहन और ख़ाम है मेरे लिए ज़िंदगी इक शोरिश-ए-आलाम है मेरे लिए जो नफ़स है गर्दिश-ए-अय्याम है मेरे लिए शायरी ही वज्ह-ए-नंग-ओ-नाम है मेरे लिए और जो कुछ है वो सब इल्ज़ाम है मेरे लिए मेरी अर्ज़-ए-शौक़ बे-म'अनी है उन के वास्ते उन की ख़ामोशी भी इक पैग़ाम है मेरे लिए ये मिरी आशुफ़्ता-ए-हाली ये मिरी आवारगी जैसे सारी गर्दिश-ए-अय्याम है मेरे लिए किस क़दर मासूम कैसी गर्म कितनी दिल-नवाज़ वो निगाह-ए-नाज़ जो बद-नाम है मेरे लिए आज क्या होने को है ऐ गर्दिश-ए-हफ़्त-आसमाँ हर सितारा लर्ज़ा-बर-अंदाम है मेरे लिए