आहटें ताज़ा मुक़द्दर की तरफ़ आइनों के ध्यान पत्थर की तरफ़ वसवसे सीना-सिपर मौजूद से वाहिमे की पुश्त ख़ंजर की तरफ़ शीशा शीशा ख़ौफ़ हर चेहरे पे नक़्श इक निशाना सैकड़ों सर की तरफ़ हाल पर दुश्मन की पोशीदा-रुख़ी आइना रौशन सिकंदर की तरफ़ मुस्कुरा कर आबला-तन बढ़ गए ख़ार के सुरख़ाब बिस्तर की तरफ़ रौशनी बाहर बड़ी तेज़ाब है क़तरा क़तरा आँख मंज़र की तरफ़ सरवरी थी नोक-ए-पा-ए-ख़ाकसार जा पड़ी दस्तार-ए-ख़ुद-सर की तरफ़