आहों से मिरे घर में हवा गर्म रहेगी मैं जाऊँगा तो भी मिरी जा गर्म रहेगी भरते ही रहेंगे नफ़स-ए-सर्द हज़ारों जब तक कि तरी आन-ओ-अदा गर्म रहेगी जलना मिरे तब दिल का लगेगा ये ठिकाने सोहबत तरी जब मुझ से सदा गर्म रहेगी चोटी में दिल-सोख़्ता को गूँध के प्यारे मत फेक क़िफ़ा पर कि क़िफ़ा गर्म रहेगी बुलबुल न मुझे दीजियो तो नाले की तकलीफ़ वर्ना असर इस के से सबा गर्म रहेगी जब तक नहिं तो दुख़्तर-ए-रज़ ही को रखूँगा कुछ तो ये बग़ल मेरी भला गर्म रहेगी उश्शाक़ को तर्ग़ीब-ए-मोहब्बत ही करेगा जब तक है 'हसन' बज़्म-ए-वफ़ा गर्म रहेगी