आज बदली है हवा साक़ी पिला जाम-ए-शराब बर्स काली वअ'दा जाते हैं बरस काले सहाब आरसी सूँ अब शराब-ए-नाब खींचा चाहिए नींद सूँ उठ यार ने देखा है चश्म-ए-नीम-ख़्वाब साफ़ दिल हो गर है तुझ कूँ ख़्वाहिश-ए-तर्क-ए-हवा आब-ए-आईना उपर आता नहीं हरगिज़ हबाब सूरत-ए-महताब रो ज़ाहिर है मेरे अश्क सूँ जल्वा-गर जियूँ आब-ए-दरिया में है अक्स-ए-माहताब हर किताब-ए-सोहबत-ए-रंगीं के मअ'नी देख कर फ़र्द-ए-तन्हाई के मज़मूँ कूँ किया हूँ इंतिख़ाब साहब-ए-मअ'नी किया है हक़ मुझे रोज़-ए-बिना पोस्तीं जामा है मेरे बर मने मिस्ल-ए-किताब ख़ेमा-ए-गुल बाग़ में बरपा है ऐ 'दाऊद' आज तन रही है देख क्या आवाज़-ए-बुलबुल की तनाब