जब निगाहों के इशारे रक़्स करते हैं तब दिलों में भी शरारे रक़्स करते हैं आशिक़ी में सब बिचारे रक़्स करते हैं इश्क़ में बर्बाद सारे रक़्स करते हैं वस्ल की उस इक घड़ी के जश्न में अक्सर आसमाँ पर सब सितारे रक़्स करते हैं रास्ते से जब भी गुज़रे यार मेरा तब मेरे घर के सब मनारे रक़्स करते हैं डूबती कश्ती कभी जब पार होती है साथ लहरों के किनारे रक़्स करते हैं तुझ को देखें हम 'तबस्सुम' या इन्हें देखें देख कर तुझ को नज़ारे रक़्स करते हैं