आज दिस्ता है हाल कुछ का कुछ क्यूँ न गुज़रे ख़याल कुछ का कुछ दिल-ए-बे-दिल कूँ आज करती है शोख़ चंचल की चाल कुछ का कुछ मुजको लगता है ऐ परी-पैकर आज तेरा जमाल कुछ का कुछ असर-ए-बादा-ए-जवानी है कर गया हूँ सवाल कुछ का कुछ ऐ 'वली' दिल कूँ आज करती है बू-ए-बाग़-ए-विसाल कुछ का कुछ