आज फिर साक़ी-ए-गुलफ़ाम से बातें होंगी मय-गुसारों की मय-ओ-जाम से बातें होंगी फिर तिरे आरिज़-ओ-गेसू के नज़ारे होंगे फिर नई सुब्ह नई शाम से बातें होंगी हो चुकीं ऐश-ओ-मसर्रत से बहुत कुछ बातें होंगी अब तो ग़म-ओ-आलाम से बातें होंगी उम्र-भर खाएँगे हम वादा-ए-फ़र्दा का फ़रेब उम्र-भर हसरत-ए-नाकाम से बातें होंगी होगी ख़ल्वत में भी हाइल न ख़मोशी मुझ को नक़्श-ए-दीवार-ओ--दर-ओ--बाम से बातें होंगी गर्दिश-ए-जाम से लब होंगे मिरे महव-ए-कलाम जब मिरी गर्दिश-ए-अय्याम से बातें होंगी मुर्ग़-ए-दिल ज़ौक़-ए-असीरी पे है माइल 'उम्मीद' किस की ज़ुल्फ़ों के हसीं दाम से बातें होंगी