आज हद से गुज़र गया है वो इश्क़ कर के मुकर गया है वो नक़्श-ए-पा तक नज़र नहीं आता कौन जाने किधर गया है वो जितना पानी था गहरे दरिया का एक कूज़े में भर गया है वो मौत से भी बड़ी सज़ा है ये दिल मिरा तोड़ कर गया है वो 'नूर' ख़ाली जगह नहीं दिल में ज़ख़्म ही ज़ख़्म भर गया है वो