आज हर सम्त भागते हैं लोग गोया चौराहा हो गए हैं लोग हर तरफ़ से तुड़े-मुड़े हैं लोग जाने कैसे टिके हुए हैं लोग अपनी पहचान भीड़ में खो कर ख़ुद को कमरों में ढूँडते हैं लोग बंद रह रह के अपने कमरों में टेबलों पर खुले खुले हैं लोग ले के बारूद का बदन यारो आग लेने निकल पड़े हैं लोग रास्ता किस के पाँव से उलझे खूटियों पर टँगे हुए हैं लोग