आज जिस पर ये पर्दा-दारी है By Ghazal << आते आते मिरा नाम सा रह गय... बदले हुए हालात से मायूस न... >> आज जिस पर ये पर्दा-दारी है कल उसी की तो दावे-दारी है आईना मुझ से कह रहा है यही मेरे चेहरे पे बे-क़रारी है आज व'अदा वो फिर निभाएगा वादी ओ गुल पे क्या ख़ुमारी है तेरी आँखें ये साफ़ कहती है रात कितनी हसीं गुज़ारी है Share on: