आज किस का जल्वा-ए-रंगीं नुमायाँ हो गया जल्वा जल्वा रश्क से सर-दर-गरेबाँ हो गया कौन ये जल्वा-तराज़-ए-बज़्म-ए-इम्काँ हो गया किस के नूर-ए-हुस्न से आलम चराग़ाँ हो गया सेहन-ए-गुलशन में ये किस ने नाज़ से अंगड़ाई ली चाक-ए-दिल हर फूल का चाक-ए-गरेबाँ हो गया हसरत-ओ-अरमान की मय्यत है एक एक अश्क-ए-तर मेरा दामन बस्ती-ए-गोर-ए-ग़रीबाँ हो गया फिर बहार आई हुआ फिर मुज़्तरिब दस्त-ए-जुनूँ ख़ैर से फिर आरज़ू-ए-दिल का सामाँ हो गया हर गुल-ए-तर हो गया जाम-ए-शराब-ए-अर्ग़वाँ मय-कदा-बर-दोश अब सारा गुलिस्ताँ हो गया अपने क़ैद-ओ-बंद का 'जौहर' नहीं मुतलक़ अलम ये ख़ुशी है हम से आबाद उन का ज़िंदाँ हो गया