अफ़सोस अहल-ए-इश्क़ न अहल-ए-नज़र मिले जो हम-सफ़र मिले वो बला-ए-सफ़र मिले दीवानगान-ए-इश्क़ मिले जिस क़दर हमें जामा दरीदा ख़ाक-बसर चश्म-ए-तर मिले किस से गिला मैं कातिब-ए-तक़दीर का करूँ नाले मिले तो वो भी मुझे बे-असर मिले आया नहीं जो कोई तिरी बज़्म-ए-नाज़ में नक़्श-ए-क़दम ये किस के सर-ए-रह-गुज़र मिले उस से न पूछ हाल-ए-बहार-ए-चमन जिसे नै रंग-ओ-बू-ए-गुल मिले नै बाल-ओ-पर मिले निय्यत-ब-ख़ैर मंज़िल-ए-मक़्सद क़रीब थी ना-आश्ना-ए-राह-ए-वफ़ा राहबर मिले 'जौहर' ये रंग बदला सर-ए-मंज़िल-ए-हयात वो राहज़न थे राह में जो राहबर मिले