आज महफ़िल में नए सर से सँवर आएँगे उन को मालूम है कुछ अहल-ए-नज़र आएँगे रू-ब-रू यार के गर बार-ए-दिगर जाएँगे कर के हम एक बड़ा म'अरका सर आएँगे ये तो धमकी है कि वो ग़ैर के घर जाएँगे हम-नशीं देखना हिर-फिर के इधर आएँगे सब्र करने को जो कहते हैं नहीं आते हैं क्या मिरे ज़ख़्म-ए-जिगर आप ही भर आएँगे कौन उमीद आप से पूरी होगी कौन अरमान मेरे आप से बर आएँगे लाख पर्दों में रहें मुझ से निहाँ रोज़-ब-रोज़ ख़्वाब में वो मुझे हर शब को नज़र आएँगे दर से फिर उस बुत-ए-पुर-फ़न के हमारे नाले साफ़ ज़ाहिर है कि मायूस-ए-असर आएँगे चश्म-ए-बीना से जो देखेंगे मिरा पर्दा-ए-दिल ऐ मसीहा कई नासूर नज़र आएँगे कोई कह दो कि बस अब और तवक़्क़ुफ़ न करें वर्ना हम जी से गुज़रने पे उतर आएँगे ना-तवानी से हमारी तुझे क्या तेरा सँभाल हम तिरे सामने फिर सीना-सिपर आएँगे आज़माएँगे ग़म-ए-हिज्र का इक और इलाज कर के सहरा में कुछ अय्याम बसर आएँगे रहबरी ख़ाक रह-ए-इश्क़ में इन से होगी दिल अगर हज़रत-ए-'रहबर' कहीं धर आएँगे