आज उन पर राज़-ए-दिल इफ़्शा करें हुस्न को मग़रूर-ओ-ख़ुद-आरा करें चंद दिन उन को न अब देखा करें या'नी कुछ उन को भी तड़पाया करें इस तरह हो यूँ करें ऐसा करें उन से मिलने का कोई चारा करें आप तो जो कुछ करें अच्छा करें हम कहें तो शिकवा-ए-बे-जा करें मौत भी माँगे से मिलती है कहाँ फिर ये क्यूँकर हो कि वो आया करें वो अभी आएँ चले जाएँ अभी घर को वो गुलशन कभी सहरा करें चाहने पर आप के मौक़ूफ़ है आप चाहें तो अभी अच्छा करें बन सके उन से न कुछ आए बग़ैर अपने दिल में वो कशिश पैदा करें 'साइब' अपने वक़्त पर आती है मौत ज़िंदगी से लाख उकताया करें