आज उस ने नक़ाब उल्टा है पर्दा-ए-आफ़्ताब उल्टा है जल्वा-फ़रमा हैं वो लब-ए-दरिया मंज़र-ए-आब-ओ-ताब उल्टा है बहर-ए-हस्ती में मिस्ल-ए-कासा-ए-सर देखिए हर हबाब उल्टा है आप का भी कोई जवाब नहीं बात का हर जवाब उल्टा है राह सीधी किसे दिखाएँ हम ये ज़माना जनाब उल्टा है पेश-ए-आईना लिख रहे होंगे मेरे ख़त का जवाब उल्टा है हश्र में और भी तो थे 'आसी' उस ने मेरा ही बाब उल्टा है