आज यूँ ही सर-ब-सर दिल बहुत उदास है बात कुछ नहीं मगर दिल बहुत उदास है जिस्म है थका हुआ हौसला निढाल है और सब से पेशतर दिल बहुत उदास है शहर-ए-मुम्किनात में हो के न उम्मीद मैं फिर रहा हूँ दर-ब-दर दिल बहुत उदास है फिर हँसी को देख कर सब फ़रेब खा गए है भला किसे ख़बर दिल बहुत उदास है फिर वो क़ुर्ब-ए-यार हो या हँसी की महफ़िलें कुछ नहीं मज़ा अगर दिल बहुत उदास है किस अदम की और है इस वजूद का सफ़र आज ख़ुद को सोच कर दिल बहुत उदास है अब तिरे सवाल का क्या जवाब दूँ भला बात ये है मुख़्तसर दिल बहुत उदास है यूँ भी तेरे दर्द का बस यही इलाज है मय-कदे में चल 'अमर' दिल बहुत उदास है