आँख के तारे टूट गए By Ghazal << चाँदनी का रक़्स दरिया पर ... गल को शर्मिंदा कर ऐ शोख़ ... >> आँख के तारे टूट गए ख़्वाब हमारे टूट गए कल मौजों में जंग हुई और किनारे टूट गए क़तरा क़तरा बर्फ़ बना और फ़व्वारे टूट गए मेरी पलकों से गिर के आँसू सारे टूट गए 'हाफ़िज़' वक़्त बुरा आया देख सारे टूट गए Share on: