आँख मेरी रो रही है By Ghazal << अबस है राज़ को पाने की जु... आईना देख कर न तो शीशे को ... >> आँख मेरी रो रही है आज दुल्हन वो बनी है ज़िंदगी पर मैं हँसा था मौत मुझ पर हँस रही है उस ने कुछ ऐसे पुकारा हर तरफ़ अब बे-ख़ुदी है जीतते ही जा रहे हो इश्क़ है बाज़ी नहीं है एक तेरी याद है अब एक मेरी शाइरी है दर्द ऐ तहरीर देखो ऊला सानी नहीं है Share on: