आँख से उन की आँसू निकले या मुट्ठी से जुगनू निकले फूल खिले तो निगहत कम हो ज़ख़्म हँसे तो ख़ुशबू निकले साथ अश्कों के एक तसव्वुर जैसे आप लब-ए-जू निकले तेरा ध्यान आया यूँ जैसे बर्फ़ की वादी से लौ निकले खिलती कली को चूम लिया है हाथ मिरे बे-क़ाबू निकले एक में दुनिया एक में उक़्बा दोनों हाथ तराज़ू निकले रंग उड़ाए है हुस्न का 'नाज़िश' आप के शे'र तो जादू निकले