अब दिल में आरज़ूओं के आसार देखना वीरानियों में शहर-ए-नुमूदार देखना कौन आ गया चराग़ की लौ किस ने तेज़ की शो'ले से हो गया है किसे प्यार देखना दो अश्क चश्म-ए-नाज़ की दुनिया बदल गए इक बर्ग-ए-गुल पे ओस की मिक़दार देखना मंसूर इक गिरफ़्त में मंसूर हो गया बंदा-नवाज़ी-ए-रसन-ओ-दार देखना ये कौन झाँकता है दरीचे से बार-बार लौ दे रहा है साया-ए-दीवार देखना दामन से दूर रह गया हाथ आफ़्ताब का उस आने वाली सुब्ह की रफ़्तार देखना आई जो गर्द-ए-राह तो दामन झटक दिया आवार्गान-ए-शौक़ का किरदार देखना तुम को अगर न हो कोई एहसास-ए-कमतरी 'नाज़िश' की चश्म-ए-शौक़ का मेआ'र देखना