आँखें ख़ुदा ने बख़्शी हैं रोने के वास्ते दो कश्तियाँ मिली हैं डुबोने के वास्ते उर्यां चलूँ मैं क़ब्र में सोने के वास्ते काफ़ी है मुझ को पोस्त बिछौने के वास्ते कुश्तों के खेत में जो हुज़ूर आज हँस पड़े मोती के दाने मिल गए बोने के वास्ते नींद उड़ गई है रंग-ए-तलाई की याद में पारस का सुर्मा चाहिए सोने के वास्ते अफ़्सूँ से सामरी को जलाते हैं वस्ल में जादू जगा रहे हैं वो टोने के वास्ते तड़पा मैं ख़ाक पर तो किया चर्ख़ ने करम बिजली गिराई मेरे बिछौने के वास्ते ख़्वाबीदगान-ए-ख़ाक हैं गिर्यां मज़ार पर सोतों की आँखें खुल गईं रोने के वास्ते ये घुल के मर गया हूँ कि मेरा कफ़न तमाम जाला बना है क़ब्र के कोने के वास्ते जीना है सब को मौत है तस्वीर की तरह नक़्शे जमे हुए हैं न होने के वास्ते संगीं दिली से चम्पई रंगों की है चमक संग-ए-महक ज़रूर है सोने के वास्ते गोया ज़बान हूँ दहन-ए-रोज़गार में क्या क्या मज़े मिले मुझे खोने के वास्ते नक़्श-ए-नगीन-ए-मोहर मिरा नक़्श-ए-आब है पैदा हुआ हूँ नाम डुबोने के वास्ते दाँतों के इश्क़ में है ये दौड़ा हूँ मोतियों के पिरोने के वास्ते चक्की लगी है बोसा-ए-हुस्न मलीह की ज़ख़्मों के मुँह खुली हैं सलोने के वास्ते मैला है फ़र्श पर तो मह-ए-आज मय-कशो लाओ शराब चाँदनी धोने के वास्ते शायद करेंगे चश्मा-ए-ख़ुर्शीद में वो ग़ुस्ल शबनम चली है पानी समोने के वास्ते उस हुस्न-ए-पुर-नमक में अजब है नुमूद-ए-ख़त देखा हुजूम-ए-मोर सलोने के वास्ते क़ारूँ का भी ख़ज़ाना लुटा दीजिए 'मुनीर' मुम्सिक का माल लूटिए खोने के वास्ते