आँखों में ले के यास मुझे देखने तो दे कौन आ रहा है पास मुझे देखने तो दे देखेगा कौन ख़ाक में जौहर छुपे हुए ऐ शहर-ए-ना-शनास मुझे देखने तो दे ये कौन महव-ए-रक़्स है यूँ आबलों के साथ दश्त आया किस को रास मुझे देखने तो दे लब खोलता नहीं न सही आँख तो मिला तू ख़ुश है या उदास मुझे देखने तो दे लाशों में एक लाश से उठने लगी है क्यों फूलों के जैसी बास मुझे देखने तो दे मैं डूब तो रही हूँ मगर जानिब-ए-कनार जब तक बंधी है आस मुझे देखने तो दे क्या है ख़ुमार-ए-हुस्न से बढ़ कर कोई नशा ये मय है ये गिलास मुझे देखने तो दे फिर कौन रो रहा है किनारे फ़ुरात के होंटों पे ले के प्यास मुझे देखने तो दे यूँ तो जहाँ-शनास 'तबस्सुम' हर एक है है कोई ख़ुद-शनास मुझे देखने तो दे