आँखों में मिरी दर्द का बादल नहीं देखा सहरा को कभी लोगों ने जल-थल नहीं देखा बचपन से मिरे सर पे खड़ी धूप रही है मैं ने तो कभी प्यार का आँचल नहीं देखा हर शख़्स के चेहरे पे हैं उलझन की लकीरें इस अह्द के बच्चों को भी चंचल नहीं देखा बीवी की मोहब्बत हो कि यादों की रिफ़ाक़त मतलब से तही मैं ने कोई पल नहीं देखा सच बोल के नुक़सान उठाता है हमेशा 'सैफ़ी' की तरह कोई भी पागल नहीं देखा