आँखों में न ज़ुल्फ़ों में न रुख़्सार में देखें मुझ को मिरी दानिश मिरे अफ़्कार में देखें मल्बूस बदन देखें हैं रंगीन क़बा में अब पैरहन-ए-ज़ात को इज़हार में देखें सौ रंग मज़ामीन हैं जब लिखने पे आऊँ गुल-दस्ता-ए-मअ'नी मिरे अशआर में देखें पूरी न अधूरी हूँ न कम-तर हूँ न बरतर इंसान हूँ इंसान के मेआर में देखें रक्खे हैं क़दम मैं ने भी तारों की ज़मीं पर पीछे हूँ कहाँ आप से रफ़्तार में देखें मंसूब हैं इंसान से जितने भी फ़ज़ाएल अपने ही नहीं मेरे भी अतवार में देखें कब चाहा कि सामान-ए-तिजारत हमें समझें लाए थे हमें आप ही बाज़ार में देखें उस क़ादिर-ए-मुतलक़ ने बनाया है हमें भी तामीर की ख़ूबी उसी मेमार में देखें