आमद-ए-फ़स्ल-ए-बहाराँ नहीं जीने देती वुसअ'त-ए-चाक-ए-ए-गरेबाँ नहीं जीने देती हसरत-ए-दीदा-ए-नमनाक रुलाती है मुझे यादश-ए-उम्र-ए-गुरेज़ाँ नहीं जीने देती क़ैद-ए-गेसू से रिहाई का नहीं है इम्काँ ख़ुश्बू-ए-ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ नहीं जीने देती कुंज-ए-तन्हाई में यूँ शिकवा-ब-लब बैठा हूँ तंगी-ए-गोर-ए-ग़रेबाँ नहीं जीने देती जान-लेवा है 'मुज़फ़्फ़र' ये तग़ाफ़ुल उन का तीरगी-ए-शब-ए-हिज्राँ नहीं जीने देती