आने की पड़ी है कभी जाने की पड़ी है इस दिल को फ़क़त मिलने मिलाने की पड़ी है बादल भी लगातार हैं छाए हुए इस पर और चाँद को सूरत भी दिखाने की पड़ी है लाशें भी पड़ी हैं यहाँ चीख़ें भी बहुत हैं इस वक़्त भी लोगों को ख़ज़ाने की पड़ी है इक बार उसे मैं ने फ़क़त जान कहा था अब उस से मुझे जान छुड़ाने की पड़ी है वो कल का शिकारी है उसे पल की ख़बर क्या जंगल में उसे घात लगाने की पड़ी है सब चोर लुटेरे हैं यहाँ कौन वली है ऐसे में भी 'ज़ेबी' को ज़माने की पड़ी है