आँख से ख़्वाब के इंकार का दुख अपनी जगह

आँख से ख़्वाब के इंकार का दुख अपनी जगह
और दिल-ए-हसरत-ए-बेदार का दुख अपनी जगह

मिरी कश्ती मिरी पतवार का दुख अपनी जगह
और दरियाओं के उस पार का दुख अपनी जगह

नब्ज़ पकड़े हुए तीमार की ख़ामोशी अलग
शोर करते हुए बीमार का दुख अपनी जगह

सर उठाती हुई शाख़ों का जुनूँ एक तरफ़
बोझ ढोते हुए अश्जार का दुख अपनी जगह

ख़ाली जेबों की उदासी का सबब एक तरफ़
हँसते-गाते हुए बाज़ार का दुख अपनी जगह

मुझ पे पड़ते हुए साए की चमक एक तरफ़
मुझ पे गिरती हुई दीवार का दुख अपनी जगह

लफ़्ज़-ओ-मा'नी के महकते हुए गुल-बूटे अलग
ख़ूँ उगलते हुए अश'आर का दुख अपनी जगह

ये तिरे साथ कमाई हुई रुस्वाई अलग
और मिरी ज़ात के आज़ार का दुख अपनी जगह


Don't have an account? Sign up

Forgot your password?

Error message here!

Error message here!

Hide Error message here!

Error message here!

OR
OR

Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link to create a new password.

Error message here!

Back to log-in

Close