आओ मिल बैठ बात की जाए मसअला है तो राय ली जाए मेरा दिल फिर दुखा दिया उस ने इक ग़ज़ल फिर नई कहीं जाए आ गया तू तो खिल उठा हूँ मैं तेरे जाने से हर ख़ुशी जाए ऐसी दुनिया में जी नहीं लगता जिस में एहसास-ए-बंदगी जाए उस के लहजे में जब वफ़ा ही नहीं क्या ज़रूरी है बात की जाए मौत आएगी जब भी चल देंगे ज़िंदगी अब तो ख़ूब जी जाए उस को देखूँ न जब भी मैं 'काशिफ़' मेरी आँखों से रौशनी जाए