आप आए थे याँ जफ़ा के लिए जाइए भी कहीं ख़ुदा के लिए दिल दिया था तुम्हें जफ़ा के लिए होश में आइए ख़ुदा के लिए तेरे बाज़ार-ए-दहर में गर्दूं हम भी आए हैं इक क़बा के लिए पाँव हैं कूचा-ए-तवक्कल में हाथ उठते नहीं दुआ के लिए आ कभी तो मिरे क़फ़स की तरफ़ ऐ नसीम-ए-चमन ख़ुदा के लिए है तह-ए-ख़ाक फ़र्श-ए-ख़ाक लगा शाह के वास्ते गदा के लिए दम फड़कता है तौफ़-ए-काबा पर दिल तड़पता है कर्बला के लिए सर उठाए हैं ख़ार-ए-दश्त-ए-जुनूँ 'मुंतही' से बरहना-पा के लिए