आप अपनी नक़ाब है प्यारे ये भी कोई हिजाब है प्यारे नक़्श-बर-रू-ए-आब है प्यारे ज़िंदगी इक हबाब है प्यारे ले के चल शैख़ दफ़्तर-ए-तक़्वा आज रोज़-ए-हिसाब है प्यारे तेरा हुस्न-ओ-जमाल क्या कहना माहताब आफ़्ताब है प्यारे कौन जाता है दिल में आ आ कर हर सुकूँ इज़्तिराब है प्यारे हुस्न तक़्वा-शिकन सही लेकिन इश्क़ ख़ाना-ख़राब है प्यारे इक सरापा सुरूर-ओ-बद-मस्ती आँख क्या है शराब है प्यारे मेरे ज़ौक़-ए-नज़र की रुस्वाई किस ख़ता का इ'ताब है प्यारे इस क़दर भी न 'ताज' इतराना चार दिन का शबाब है प्यारे