आप भी रेत का मल्बूस पहन कर देखें हम वो प्यासे हैं न सहरा न समुंदर देखें इक ज़रा ढेर में कूड़े के भी छुप कर देखें लोग हीरा हमें समझे हैं कि पत्थर देखें हम में जो शख़्स है उस से नहीं बनती अपनी अब तो रहने के लिए और कोई घर देखें शोर बे-सम्त सदाओं का कुछ ऐसा है कि हम अपने अंदर कभी झांकें कभी बाहर देखें